Monday, 7 March 2022

जिस्मानी

खलवली मची है अंदर 

तनाव बढ गया है 
कल तक जो पीछे भागते रहते थे 
आज उनका भी भाव बढ गया है 
तस्बुर, तमन्ना, अब इल्तजा नही होता 
अब देख के एसे लोगों से भी 
अब प्यार नही होता है 
चाहत थी जो कभी 
जो कभी हम पर जान छिड़कती थी 
अब सोती है किसी और कि बाँहों में 
ये देख कर अब हमसे बर्दास्त नही होता 
न भूतो , न भविष्यते ना रूहानी चाहिए 
अब बदलेंगे हम भी देख के दुनियादारी 
अब इश्क बस जिस्मानी चाहिए 
और ना ही किसी की मेहरबानी चाहिए 
-- 🖋🖋🖋 दीपक राव 

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